मै रोया प्रदेश में, भीगा माँ का प्यार !
दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार !!

Thursday, May 8, 2008

भीनी सी पुरवाई अम्मा




सारे रिश्ते जेठ दुपहरी

गर्म हवा आतिश अंगारे

झरना दरिया झील समंदर

भीनी सी पुरवाई अम्मा !



घर के झीने रिश्ते मैंने

लाखों बार उधडते देखे

चुपके-चुपके कर देती थी

जाने कब तुरपाई अम्मा!!




- आलोक श्रीवास्तव




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