मै रोया प्रदेश में, भीगा माँ का प्यार !
दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार !!

Tuesday, April 8, 2008

बिटिया जरा सम्भल के__


- मालविका अनुराग

सारी दुनिया में आपका पाला भले लोगों से ही पड़े, यह कतई जरूरी नहीं। घर से बाहर या कई बार घर में भी आपकी हँसती, खिलखिलाती बिटिया का सामना बुरी नजरों से हो सकता है। ऐसे में जरूरत होगी उसे संभलकर, सूझबूझ व चतुराई से अपना रास्ता बनाने की। ताकि वह वेश बदले मुखौटे पहने खलनायकों से बच सके।पिछले दिनों एक स्तंभकार की टिप्पणी पढ़ने को मिली, जिसमें उन्होंने लिखा है, 'नारी की देहयष्टि को देखकर मवाली से लेकर महात्मा पुरुष तक के मन, हृदय, शरीर में कैसे-कैसे स्पंदन उठते हैं, इसके बारे में शायद वे नहीं जानतीं क्योंकि वे पुरुष नहीं हैं। पुरुष के हार्मोंस और एंजाइम्स की कार्यशैली के बारे में उन्हें ज्यादा पता नहीं होता।' यह टिप्पणी एक पुरुष की ही उनकी प्रकृति और मानसिकता के बारे में सहज स्वीकारोक्ति है और महिलाओं के लिए चेतावनी देने वाले अलार्म से कम नहीं है। बरसों पहले कॉलेज में जॉब लगने पर मैं खुशी-खुशी अपनी व्याख्याता मैडम से मिलने गई। थोड़ी देर बाद उन्होंने पूछा, 'कैसा माहौल है, कैसे लोग हैं?' मैं नितांत उत्साह से लबरेज थी, अपनी ही रौ में बोली, 'सब लोग बहुत ही अच्छे हैं।' तब उन्होंने जवाब दिया, 'अभी तुम्हेंकई तरह के लोग मिलेंगे।' उनके बोलने का यही मतलब था कि इतनी जल्दी कोई निर्णय मत लो। मैडम की बात सुनकर में असमंजस में पड़ गई और मुझे बुरा भी लगा। लेकिन समय के गुजरने के साथ-साथ मैडम के बोलों का निहितार्थ खुलता गया और मुझे सतर्क भी बनातागया। एक छोटे से वाक्य में उन्होंने कितनी गंभीर बात बोल दी थी। उनका स्पष्ट इशारा कुछ पुरुषों की बुरी मानसिकता तथा उनके व्यवहार की ओर था। हालाँकि सब लोग ऐसे नहीं होते, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं। कभी सज्जनता, मार्गदर्शक, कभी पिता-भाई स्वरूप,कभी निश्चल मैत्री का मुखौटा ओढ़े हुए ये हमारे सामने आते हैं और जब भूल से इस मुखौटे की कोई पर्त हवा में उड़ती है तो इन लोगों का असली चेहरा सामने आ जाता है। परिजनों द्वारा प्रदत्त सुरक्षा तथा स्वच्छता से भरे वातावरण के कारण अधिकांश युवतियाँ ऐसेचेहरों को पहले पहल नहीं समझ पातीं। वे सारी
दुनिया को अपने घर और परिवार जैसा ही समझती हैं। इसी सोच के साथ वे घर से बाहर कदम भी रखती हैं, उन्हें लगता है जैसी वे घर में रहतीं, पहनतीं, आचरण करती हैं, वही बाहर भी कर सकती हैं, पर असल में उन्हें कुछ बिंदुओं पर सावधानी रखनी चाहिए। आइए जानें, क्या हैं ये बिंदु-
* शालीन और गरिमामय पहनावे को तरजीह दें। शालीन वस्त्र हमेशा आपके सम्मान को बढ़ाएँगे ही, साथ ही छींटाकशी के अवसरों को भी नगण्य कर देंगे।
* मुँहबोले रिश्ते बनाने में जल्दबाजी न दिखाएँ। कुत्सित सोच वाले लोग अधिकतर रिश्तों की आड़ में ही दुष्चक्र फैलाते हैं। बहुत मीठा बोलने वाले लोगों से कुछ दूरी बनाए रखें। याद रखिए जो दिखता है, वह हर बार सच नहीं होता।
* घर के बाहर प्रेक्टिकल सोच और प्रोफेशनल व्यवहार को अपनाइए। कार्यालयीन रिश्तों में भी इमोशनल होने से बचें, अपने कर्तव्यों में कोताही न बरतें। ऐसा करने से एक महिला होने के नाते आप सहकर्मियों से सम्मान ही पाएँगी और विकृत मनोवृत्ति के लोग आपसे बुरा व्यवहार करने की हिमाकत नहीं कर पाएँगे।
* यदि आपके संपर्क में आने वाला व्यक्ति चाहे वह आपका सहकर्मी हो, व्यापार से संबंधित हो, परिचित हो या फिर रिश्तेदार ही क्यों न हो, कभी कोई अनचाहा व्यवहार करने की चेष्टा करे, कोई द्विअर्थी टिप्पणी करे, अश्लील भावभंगिमा बनाए तब चुप रहने की बजाय उसका पुरजोर विरोध कीजिए और जता दीजिए कि उसका ऐसा बर्ताव सहन नहीं किया जाएगा। तभी आप भविष्य में दुर्व्यवहार को टाल सकती हैं।
* पारिवारिक फंक्शन, शादियों में बच्चों खासकर नन्ही बालिकाओं को किसी परिचित के भरोसे न छोड़ें। बच्ची यदि आपके किसी निकट रिश्तेदार के ही किसी अनचाहे व्यवहार, टिप्पणी के बारे में आपको बताना चाहे तो उसे झिड़के नहीं, उसकी बात पर गौर करें। उसे अकेला न छोड़ें भले ही आपको फंक्शन की रस्मों का आनंद लेने में अवरोध आए। बच्ची की सुरक्षा आपका पहला फर्ज है।
* महिलाएँ पारिवारिक रिश्तों की डोर को कभी भी कमजोर न पड़ने दें। पारिवारिक रिश्तों में विघटन झेलती हुई महिलाएँ आसानी से इमोशनली ब्लैकमेलिंग का शिकार हो जाती हैं। तब सहयोग के लिए बढ़े हाथ भविष्य में कुछ और ही हथियाने की मंशा लिए उस महिला के जीवन में प्रवेश कर जाते हैं।
* अपनी बड़ी होती, स्कूल-कॉलेज जाती हुई बेटियों से हमेशा दोस्ताना संबंध बनाएँ। उसकी छोटी से छोटी बात सुनें, नजरअंदाज न करें। आपकी परवाहभरी परवरिश में वह दुनियादारी की कई बातें घर में ही सीख जाएगी और समय आने पर अच्छे-बुरे में फर्क भी कर पाएगी। उसे आत्मविश्वासी बनाएँ। अपने अनुभवों से सीख दें और लोगों को पहचानना सिखाएँ।
* महिलाएँ यदि मजबूत बनें, सुदृढ़ विचार शक्ति को अपनाएँ, पारिवारिक संबंध और दूसरी महिलाओं से भी आपसी संबंध मजबूत बनाएँ तो अनेक अनचाही चीजों को विदा कर सकती हैं और परिवार तथा समाज में भी गरिमामय खुशहाल जीवन जी सकती हैं।
---

No comments:

वात्सल्य (VATSALYA-VSS) के बारे में-

Join the Mailing List
Enter your name and email address below:
Name:
Email:
Subscribe  Unsubscribe 

आईये हमसे लिखित में बातचित कर ले !

Free Java Chat from Bravenet.com Free Java Chat from Bravenet.com