मै रोया प्रदेश में, भीगा माँ का प्यार !
दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार !!

Sunday, March 30, 2008

प्रशांतभाई

अपने घर परिवार में माता-पिता के साथ भले ही कभी
जुबान चल भी जाये पर उनके साथ बोल-चाल बंद मत करना
क्योंकि बोलचाल बंद करने से समझोते या प्यार की सारे राहे स्वत:
ही बंद हो जाती है1 छोटे बच्चों की तरह बनकर रहो, वो लडाई जगडे के दूसरे क्षण
वापस एक हो जाते है.
गुस्सा आना स्वाभाविक है मगर उसके बाद अपने माता-पिता से दुस्मनी बना लेना
बिल्कुल समझदारी नहीं होती !
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