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Thursday, March 20, 2008

अब माँ के दूध का भी होगा कारोबार


अब माँ के दूध का भी होगा कारोबार

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माँ का दूध शिशु के लिए अनमोल होता है
अमरीका की एक कंपनी अब माँ के दूध का कारोबार करने के लिए क़दम बढ़ा रही है जिससे अस्पतालों में उन बच्चों का इलाज किया जा सकेगा जिनकी माताएँ अपने शिशुओं को अपना दूध नहीं पिला सकतीं.
प्रोलैक्टा बायोसाइंसेज़ नाम की यह छोटी सी कंपनी लॉस एंजल्स के बाहरी इलाक़े में स्थित है. यह कंपनी माँ के दूध पर आधारित इलाज को विकसित करने के लिए शोध भी करना चाहती है.
माँ के दूध को शिशु के लिए अमृत समान माना जाता है यानी उसमें खनिज, पाचक तत्व और एंटीबोडीज़ सहित वे सभी तत्व मौजूद होते हैं जो शिशु के जीवन के लिए अनमोल होते हैं.
लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनी के इस फ़ैसले से बहुत सी माताओं पर अपना दूध बेचने के लिए दबाव बढ़ेगा.
अभी तक अमरीका और ब्रिटेन में कुछ गिने-चुने ऐसे दूध बैंक हैं जो स्थानीय स्तर पर माँ का दूध इकट्ठा करते हैं और उन बच्चों के लिए आपूर्ति करते हैं जिनका जन्म समय से पहले होता है और उनकी माँ को अपना दूध पिलाने के लिए संघर्ष करना पड़ता है.
लेकिन प्रोलैक्टा कंपनी की योजना है कि वह माँ के दूध के बैंकों और अस्पतालों से दूध ख़रीदकर उसे पॉश्चॉराइज़ करने के बाद अस्पतालों को वापस बेचेगी.
कंपनी माँ के दूध को उन बच्चों के लिए भी आपूर्ति करने की योजना बना रही है जिन्हें दिल की बीमारियाँ होती हैं, जिनका ऑपरेशन किया जाता है और जिन्हें संक्रमण का ख़तरा होता है.
कंपनी माँ के दूध में मौजूद तत्वों के बारे में शोध भी करना चाहती है ताकि नवजात शिशुओं में आम बीमारियों का इलाज माँ के दूध से किया जा सके.
अलग-अलग राय
प्रोलैक्टा की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एलेना मीडो का कहना था, "जहाँ तक मेरी जानकारी है यह दुनिया भर में इस तरह की पहली और एक मात्र सेवा होगी."
अदभुत नुस्ख़ा
माँ का दूध एक अदभुत नुस्ख़ा है. क्यों ना हम ऐसी सुविधा क़ायम करें जहाँ बीमारी से लड़ने वाले इसमें मौजूद तत्वों को सहेजा जा सके.

प्रोलैक्टा कंपनी की प्रमुख
मीडो का कहना था, "माँ का दूध एक अदभुत नुस्ख़ा है. क्यों ना हम ऐसी सुविधा क़ायम करें जहाँ बीमारी से लड़ने वाले इसमें मौजूद तत्वों को सहेजा जा सके."
लेकिन उत्तरी अमरीका में मानव दूध बैंकिंग एसोसिएशन ने माँ के दूध की "ख़रीद-फ़रोख़्त" पर सवाल उठाए हैं.
एसोसिएशन का कहना है कि माँ के दूध के साथ व्यावसायिक पहलू जुड़ने के साथ माताओं पर अपना दूध बेचने के लिए दबाव बढ़ेगा और वे शायद इस बात की अनदेखी करने लगें कि उनके अपने बच्चों को इस दूध की ज़रूरत होती है.
ब्रिटेन के नेशनल चाइल्डबर्थ ट्रस्ट की रोज़ी डोड्स का कहना है कि वह इन चिंताओं को समझती हैं.
लेकिन उन्होंने कहा, "ज़रूरत इस बात की है कि और ज़्यादा माताएँ अपना दूध उपलब्ध कराने के लिए आगे आएँ. इस पूरे मुद्दे को और ज़्यादा अहमियत दिए जाने की ज़रूरत है. मैं सिक्के के दोनों पहलू देख सकती हूँ."
उनका कहना था, "हालाँकि मैं नहीं समझती कि यह योजना ब्रिटेन में कामयाब होगी क्योंकि यह अस्पतालों के लिए बहुत ख़र्चे वाली साबित होगी."
साभार : BBCHindi शनिवार, 06 अगस्त, 2005

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