मै रोया प्रदेश में, भीगा माँ का प्यार !
दुख ने दुख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार !!

Friday, February 22, 2008

जन्म दे मुझे भी माँ

-------------------- हे माँ ! तू नहीं तो ये जहां कहाँ ? ----------

जन्म दे मुझे भी माँ : गुरवरन सिंह


जन्म दे मुझे भी माँ, जन्म दे मुझे भी माँ,मुझे अपनी कोख में न मारतेरे दर्शन करना चाहती हूँ माँजन्म दे मुझे भी माँ, जन्म दे मुझे भी माँ,लड़की हूँ तो क्या हुआ माँ, ख्याल मैं भी तेरा रखूँगीपढ़-लिखकर मैं भी माँ, तेरा नाम चमकाऊँगीअगर तू कहे तो मैं तेरा राज-दुलारा बनकर दिखाऊँगीतेरी कोख में कर रही हूँ इंतज़ार माँ, इस संसार में मुझे भी ले आजन्म दे मुझे भी माँ, जन्म दे मुझे भी माँ,लोग लड़कों के जन्म पर खुश होते हैं,तू मुझ लड़की को जन्म देकर खुशी मनासंसार को तू आज बता दे माँ कि –मैं हूँ लड़कों से बढ़कर तेरी लड़की माँजन्म दे मुझे भी माँ, जन्म दे मुझे भी माँ,तेरी गोद में सोना चाहती हूँ, तेरी लोरियाँ सुनना चाहती हूँ माँप्यार की अनमोल परिभाषा मैं तुझ से सीखना चाहती हूँ माँदुनिया में मुझे माँ तू ही ला सकती हैमेरा तो भगवान है तू माँजन्म दे मुझे भी माँ, जन्म दे मुझे भी माँ,तेरे जो सपने हैं, उनको मैं पूरा करूँगी माँ,जो तू कहे वो मैं करूँगी माँ,न मैं माँगूगी महँगे कपड़े,न माँगूगी कुछ औरमाँगूगी तो बहुत सारा तेरा प्यार, माँजन्म दे मुझे भी माँ, जन्म दे मुझे भी माँ,मेरी शादी के खर्च से परेशान न हो माँ,मैं खूब मेहनत करूँगी और पैसा कमाऊँगीतुझ पर कभी बोझ नहीं बनूँगी माँ, दहेज की फिक्र न कर, मैं हूँ न तेरी बेटी माँक्योंकि लड़की है आज लड़कों के बराबर माँजन्म दे मुझे भी माँ, जन्म दे मुझे भी माँ
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